उत्तराखंड बने 25 साल हो गए है लेकिन आज भी उत्तराखंड आंदोलन के समय को याद करते हुए राज्य आंदोलनकारी भावुक हो जाते है। राज्य आंदोलन की बात करते हुए जितेन्द्र चौधरी ( जीतती भाई) ने कहा कि राज्य आंदोलन हुए इतना समय हो गया है लेकिन जो प्रताड़ना राज्य आंदोलकारियों ने झेली है उसे याद करते हुए आज भी रूह कांप जाती है।

राज्य आंदोलन की शुरुआत 1994 में जब पूरे देश में आरक्षण को लेकर विरोध हो रहा था उसी वक्त उत्तराखंड बनने की मांग ने ज़ोर पकड़ लिया और उसी समय राज्य आंदोलन कर रहे लोगो ने उत्तराखंड संयुक्त संघर्ष समिति बनाई गई जिसके अध्यक्ष ज्योति बहुगुणा बनाए गए तब से आंदोलन ने शुरुआत पकड़ी और आंदोलन इतना तीव्र हुआ कि आंदोलन कर रहे लोगो की शहादत के बाद ही उत्तराखंड मिला।
गोलीकांड में बर्बरता की सारी हद पार
भावुक होते हुए राज्य आंदोलनकारी जितेन्द्र चौधरी ने कहा कि मसूरी गोली कांड, खटीमा गोली कांड और रामपुर तिराहे में जो राज्य आंदोलकारियों पर गोलियां बरसाई गई उसको सोचकर भी रूह कांप जाती है उत्तर प्रदेश पुलिस के द्वारा जिस प्रकार से राज्य आंदोलन कर रहे
आंदोलनकारियों पर गोलियां बरपाई गई वो हमेशा याद रहेंगी।
रातों को सड़कों पर गुजारते थे राज्य आंदोलनकारी
नम आंखों के साथ बात करते हुए जितेन्द्र चौधरी ने कहा कि जब राज्य आंदोलन कर रहे थे उस वक्त सभी आंदोलनकारी सड़कों पर राते गुजारा करते थे उनके घरों पर पुलिस का सख़्त पहरा रहता था जिसके चलते कोई भी आंदोलनकारी घर नहीं जा पाता था और रातों को सड़कों पर रहकर गुजारते थे।
आखिरी दम तक राज्य आंदोलनकारियों के चिह्निकरण के लिए लड़ते रहेंगे
जितेंद्र चौधरी का साफ़ कहना है कि जब तक राज्य में एक एक राज्य आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण नहीं करा देते तब तक चैन की नींद नहीं सोएंगे और लगातार सरकार से उनकी मांग रही है कि जो भी राज्य आंदोलन के समय आंदोलन में रहे उनका चिन्हीकरण किया जाए।