उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से अधिसूचना जारी कर दी गई थी 21 जून से ही राज्य में ज़िला हरिद्वार और शहरी निकाय क्षेत्रों को छोड़कर आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी जो चुनाव के परिणाम के दिन तक लागू रहनी थी लेकिन फ़िलहाल हाइकोर्ट ने राज्य में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर पूरी तरह रोक लगा दी है ये रोक तब लगी है जब प्रदेश में राज्य निर्वाचन आयोग की तरफ से अधिसूचना जारी कर चुनावों के तारीखों की घोषणा हो गई थी हाइकोर्ट की इस रोक से राज्य सरकार को तगड़ा झटका लगा है।आपको बता दे कि पंचायतों में आरक्षण पर स्थिति साफ ना होने की वजह से ये रोक लगाई गई है।

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पंचायत चुनावों में आरक्षण को लेकर कई लोगो ने हाइकोर्ट में आरक्षण के खिलाफ़ याचिका दायर की थी जिन सभी को कोर्ट ने सुना। बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल व अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि सरकार ने 9 जून 2025 को एक आदेश जारी कर पंचायत चुनाव हेतु नई नियमावली बनाई. साथ ही 11 जून को आदेश जारी कर अब तक पंचायत चुनाव हेतु लागू आरक्षण रोटशन को शून्य घोषित करते हुए इस वर्ष से नया रोटशन लागू करने का निर्णय लिया है. जबकि हाईकोर्ट ने पहले से ही इस मामले में दिशा निर्देश दिए हैं. याचिकाकर्ता के अनुसार इस आदेश से पिछले तीन कार्यकाल से जो सीट आरक्षित वर्ग में थी वह चौथी बार भी आरक्षित कर दी गई है. जिस कारण वे पंचायत चुनाव में भाग नहीं ले पा रहे हैं।

इस मामले में सरकार की ओर से बताया गया कि इसी तरह के कुछ मामले एकलपीठ में भी दायर हैं. जबकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने खण्डपीठ में 9 जून को जारी नियमों को भी चुनौती दी है. जबकि एकलपीठ के समक्ष केवल 11 जून के आदेश जिसमें अब नए सिरे से आरक्षण लागू करने का उल्लेख है, को चुनौती दी गई है.जो अधिसूचना जारी की गई थी, उसके अनुसार उत्तराखंड के हरिद्वार जिले को छोड़कर अन्य 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराए जाने थे। पंचायत चुनावों की रोक पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि न्यायालय के फैसले का सम्मान है और सरकार चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है और कोशिश रहेगी समय पर ही चुनाव कराए जाए।

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