
देहरादून। डीआइटी विश्वविद्यालय, देहरादून के स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग ने वीएनआईटी नागपुर और आईआईटी रुड़की के आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग विभागों के सहयोग से “उत्तराखंड के वास्तुकला वृत्तांत” विषय पर पाँच दिवसीय लघु अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रम (एसटीटीपी) का शुभारंभ किया यह कार्यक्रम उत्तराखंड राज्य के गठन की रजत जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित किया जा रहा है इसका उद्देश्य राज्य की समृद्ध वास्तुकला विरासत और पारंपरिक ज्ञान को शैक्षणिक दृष्टिकोण से पुनः खोजने, दस्तावेज़ित करने और पुनर्परिभाषित करने का है।
भारत के तीन प्रमुख संस्थानों के संयुक्त प्रयास के रूप में यह पहल सांस्कृतिक संदर्भ और पारिस्थितिक संतुलन पर आधारित सतत और सुदृढ़ वास्तुकला दृष्टिकोण के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
पाँच दिवसीय इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रतिभागियों को एफआरआई देहरादून, आईआईटी रुड़की, मसूरी और बिसोई गाँव जैसी वास्तुकला धरोहर स्थलों के भ्रमण, व्याख्यानों और चर्चाओं के माध्यम से क्षेत्र की विशिष्ट वास्तुकला पहचान से जुड़ने का अवसर मिलेगा।कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए डीआइटी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जी. रघुरामा ने हिमालयी पहाड़ियों की वास्तुकला पहचान को संरक्षित करते हुए नवाचार और स्थिरता को अपनाने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा, “ऐसे सहयोगात्मक शैक्षणिक प्रयास अनुसंधान विनिमय को सशक्त बनाते हैं और डीआइटी विश्वविद्यालय की संदर्भ-संवेदनशील शिक्षा की दृष्टि के अनुरूप हैं।
”आईआईटी रुड़की के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रामसतीश पसुपुलेटी ने क्षेत्रीय वास्तुकला समझ को गहरा करने में अंतर-संस्थागत सहयोग की भूमिका पर प्रकाश डाला, वहीं डीआइटी विश्वविद्यालय की डीन डॉ. एकता सिंह ने छात्रों को जीवंत परंपराओं से सीखने और अतीत की बुद्धिमत्ता को भविष्य के डिज़ाइन से जोड़ने का आग्रह किया।
अतिथियों का स्वागत करते हुए आर्किटेक्ट जितेन्द्र सरोही, प्रमुख, स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एंड प्लानिंग, डीआइटी विश्वविद्यालय ने कहा, “वास्तुकला वृत्तांत इतिहास के अवशेष नहीं, बल्कि यह इस बात का जीवंत प्रदर्शन हैं कि व्यक्ति, स्थान और समय कैसे एक सामंजस्य में सहअस्तित्व रखते हैं।
”उद्घाटन सत्र में डॉ. उमाकांत पंवार, पूर्व प्रमुख सचिव, उत्तराखंड सरकार ने पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों की भूमिका पर प्रकाश डाला, जो सुदृढ़ पहाड़ी बस्तियों के निर्माण में सहायक हैं। वहीं डॉ. लोकेश ओहरी, प्रसिद्ध मानवविज्ञानी और विरासत संरक्षक ने “हिमालय में जीवन: पहाड़ी वास्तुकला के दृष्टिकोण” विषय पर प्रेरक व्याख्यान प्रस्तुत किया।डीआइटी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अखिलेश कुमार ने “देहरादून शहर की वर्तमान चुनौतियाँ और भविष्य के स्मार्ट समाधान” विषय पर प्रस्तुति दी। सत्र का संचालन आर्किटेक्ट पूर्णिमा, सहायक प्रोफेसर, डीआइटी विश्वविद्यालय ने किया तथा इसे डॉ. पंकज वर्मा, सहायक प्रोफेसर, वीएनआईटी नागपुर के सहयोग से समन्वित किया गया।यह महत्त्वपूर्ण सहयोग उत्तराखंड की वास्तुकला पहचान के पुनरुद्धार की दिशा में एक उल्लेखनीय कदम है, जो आने वाली पीढ़ी के आर्किटेक्ट्स और प्लानर्स को विरासत, स्थिरता और नवाचार को मिलाकर भविष्य के निर्मित परिवेश को आकार देने की प्रेरणा देता है।

Hey, heard about sv388ph. Is it any good for players in the Philippines? Anyone got the lowdown on this one? Give it a look: sv388ph
Vegas79bet… Feels like a mini-Vegas right at your fingertips. Good mix of games to keep you entertained. I had a good time exploring. Go have a look: vegas79bet