देहरादून। आजकल युवाओं में भी शुगर की बीमारी तेज़ी से बढ़ रही है और इसके पीछे कहीं ना कही आजकल का खानपान मुख्य है क्या है शुगर की बीमारी ओर इसपर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है इसके बारे में राजकीय दून मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर साथ ही सीनियर फिजिशियन डॉ कुमार जी कौल ने विस्तृत जानकारी दी है।

क्या है टाइप 1 डायबिटीज ?

टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इसमें शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली (immune system) गलती से अग्न्याशय (pancreas) की बीटा कोशिकाओं (β-cells) को नष्ट कर देती है, जो इंसुलिन बनाती हैं।इंसुलिन के बिना शरीर रक्त में बढ़ी हुई शुगर (blood glucose) को नियंत्रित नहीं कर पाता।

यह किसे होता है?

सामान्यतः बचपन या किशोरावस्था में शुरू होता है लेकिन किसी भी उम्र में हो सकता है इसका संबंध आनुवंशिक (genetic) और पर्यावरणीय कारणों से होता है—मुख्य कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बीटा कोशिकाओं का नष्ट होना आनुवंशिक प्रवृत्ति कुछ वायरल संक्रमण (संभावित कारण)—मुख्य लक्षण अत्यधिक प्यास लगना (Polydipsia)बार-बार पेशाब आना (Polyuria)बहुत ज्यादा भूख लगना (Polyphagia)अचानक वजन कम होना थकान और कमजोरी दृष्टि धुंधली होना बच्चों में बिस्तर गीला करना (bed-wetting)—निदान (Diagnosis)फास्टिंग ब्लड शुगरHbA1c टेस्टरैंडम ब्लड शुगर ऑटो एंटीबॉडी टेस्ट (जैसे GAD antibodies)C-Peptide लेवल (कम होता है)—

उपचार (Treatment)

टाइप 1 डायबिटीज का कोई स्थायी इलाज नहीं, लेकिन इसे अच्छी तरह नियंत्रित किया जा सकता है:1. इंसुलिन थेरेपी — आवश्यक रैपिड-एक्टिंग इंसुलिन लॉन्ग-एक्टिंग इंसुलिन ,इंसुलिन पंप विकल्प 2. रक्त शर्करा की नियमित जाँच ग्लूकोमीटर से CGM (Continuous Glucose Monitor) का उपयोग भी किया जा सकता है 3. भोजन (Diet)कार्बोहाइड्रेट गिनती (carb counting)संतुलित और नियमित भोजन कम मीठा, फाइबर युक्त आहार 4. शारीरिक गतिविधि नियमित व्यायाम लेकिन इंसुलिन और भोजन के अनुसार ग्लूकोज की निगरानी आवश्यक

टाइप 2 डायबिटीज क्या है?

टाइप 2 डायबिटीज एक मेटाबॉलिक बीमारी है जिसमें:1. इंसुलिन प्रतिरोध (Insulin Resistance) – शरीर इंसुलिन को ठीक से उपयोग नहीं कर पाता2. इंसुलिन की कमी (Relative Insulin Deficiency) – समय के साथ अग्न्याशय कम इंसुलिन बनाने लगता है इन दोनों कारणों से शरीर में ब्लड शुगर बढ़ जाती है।—यह किसे होता है?35–40 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों को अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त परिवार में डायबिटीज होने पर महिलाओं में गर्भावधि डायबिटीज (GDM) का इतिहास शारीरिक गतिविधि कम करने वाले लोग–

मुख्य कारण

मोटापा, खासकर पेट पर चर्बी असंतुलित भोजन (ज्यादा मीठा, तला-भुना, जंक फूड)तनाव जेनेटिक कारण शारीरिक गतिविधि की कमी बढ़ती उम्र—

मुख्य लक्षण

अत्यधिक प्यास लगना बार-बार पेशाब आना बहुत थकान महसूस होना वजन बढ़ना/घटना ,घाव देर से भरना पैरों में झनझनाहट बार-बार संक्रमण (skin infection, UTI)कई लोगों में लक्षण बहुत हल्के होते हैं, इसलिए अक्सर यह देर से पता चलता है।—निदान (Diagnosis)फास्टिंग ब्लड शुगर (FBS) ≥ 126 mg/dLपोस्ट प्रांडियल ब्लड शुगर (PPBS) ≥ 200 mg/dLHbA1c ≥ 6.5%रैंडम ब्लड शुगर ≥ 200 mg/dL + लक्षण—

उपचार (Treatment)

1. जीवनशैली में सुधार (Lifestyle Modification)✔ संतुलित आहार✔ मीठा, तला, और जंक फूड कम✔ अधिक फाइबर (सलाद, सब्ज़ी, दालें)✔ नियमित व्यायाम (30–45 मिनट प्रतिदिन)✔ वजन नियंत्रित रखना✔ तनाव कम करना2. दवाइयाँ (Oral Medicines / Tablets)Metformin (सबसे सामान्य)DPP-4 inhibitorsSGLT-2 inhibitorsSulfonylureasGLP-1 analogues(दवा डॉक्टर स्थिति के अनुसार तय करते हैं)3. इंसुलिन (कुछ मरीजों को)यदि शुगर बहुत अधिक होया टैबलेट से नियंत्रण न होया बीमारी लंबे समय से हो

2 thoughts on “युवाओं में बढ़ रही है शुगर की बीमारी, जाने क्या होता है टाइप 1 और टाइप 2 शुगर-डॉ कुमार जी कौल”
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