
आदिल पाशा। इस माह अमेरिका मे हुए एक शोध के न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन मे प्रकाशित होने से मेडिकल फील्ड मे चिंता का माहौल बना है इस शोध मे 1996 से 2016 के बीच जन्मे 37 लाख से ज़्यादा बच्चे चुने गये और उनको पहली बार कैंसर होने तक फॉलो किया गया उस बीच बच्चो के किये गये सी टी स्कैन की भी गिनती की गयी और नतीजा बड़ा ही चौकाने वाला निकला जिसमे सी टी स्कैन को बच्चों मे होने वाले 10% ब्लड कैंसर के केस का प्रमुख कारण होने की बात कही गयी है इस शोध के बारे में राजकीय दून मेडिकल कालेज के कैंसर विशेषज्ञ डॉ शशांक जोशी ने विस्तृत जानकारी दी।
पाशा के प्रश्न से बात करते हुए कैंसर विशेषज्ञ डॉ शशांक जोशी ने बताया कि आम जन को नही पता कि सी टी स्कैन मे अयोनाइज़िन्ग रेडिएशन का इस्तेमाल किया जाता है जो कैंसर होने का एक बड़ा रिस्क फैक्टर है बच्चे वयस्क की तुलना मे ज़्यादा रेडियो सेंसिटिव होते हैं और चुकी उनकी लाइफ एक्सपेक्टेंसी भी वयस्क की तुलना मे ज़्यादा होती है इसलिए रेडिएशन के प्रभाव से होने वाले कैंसर के मामले ज़्यादा देखने को मिलते हैं ऐसा ही एक शोध एपी-सी टी नाम से यूरोप मे हुआ था जिसमे करीब 9 लाख बच्चों पे सी टी स्कैन को ब्लड कैंसर और दिमाग के कैंसर से जोड़ा गया था इसलिए इस तकनीक (सी टी स्कैन) का इस्तेमाल बहुत ही सूझबूझ के साथ करना है और कोशिश करनी है कि जितना हो सके बच्चों मे सी टी स्कैन का प्रयोग निदान कार्यो मे कम से कम करें और अन्य जांचे जैसे अल्ट्रासाउंड, एम आर आई का प्रयोग करें।
सितंबर का महिना ब्लड कैंसर जागरूकता का महीना होता है ब्लड कैंसर में, रक्त कोशिकाएं डीएनए उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) के कारण असामान्य तरीके से व्यवहार करने लगती हैं रक्त कोशिकाएं बोन मैरो (अस्थि मज्जा मे बनती हैं) मे बनती हैं यह अस्थि मज्जा में शुरू होता है, जहां असामान्य रक्त कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं और अन्य सामान्य रक्त कोशिकाओं की जगह ले लेती हैं, जैसे कि लाल रक्त कोशिकाएं, श्वेत रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट्स। असामान्य कोशिकाएं सामान्य कोशिकाओं के उत्पादन मे भी बाधा डालती हैं जिसके कारण शरीर मे सामान्य कोशिकाओं का अभाव होने लगता है और शरीर मे खून की कमी (एनिमिया), बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम होना, रक्तस्राव होना, बार बार बुखार आना, वजन कम होना, हड्डियों मे दर्द होना, शरीर मे गाँठों का बनना आदि लक्षण देखने को मिल सकते हैं।
ब्लड कैंसर अनेक प्रकार के होते हैं-
1) ल्यूकेमिया (leukemia) : इसमे असामान्य सफेद रक्त कोशिकाएं बनने लगती हैं जो सामान्य रक्त कोशिकाओं की उत्पत्ति में रुकावट होती है।ल्यूकीमिया के चार प्रमुख प्रकार होते हैं: एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकीमिया (ALL), एक्यूट मायलॉयड ल्यूकीमिया (AML), क्रॉनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकीमिया (CLL), और क्रॉनिक मायलॉयड ल्यूकीमिया (CML)।2) लिंफोमा (lymphoma):इसमे लिमफटिक सिस्टम और लिंफ नोड्स प्रभावित होते हैं जिससे शरीर मे जगह जगह गांठे बनने लगती है। यह दो प्रकार का होता है। हॉजकिन लिंफोमा और नॉन हॉजकिन लिंफोमा। 3) मायेलोमा (Myeloma):मायेलोमा या मल्टीपल मायेलोमा एक प्रकार का कैंसर है जो प्लाजमा कोशिकाओं में शुरू होता है, जो हड्डी में पाया जाता है।इसमें असामान्य प्लाजमा कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं, जो सामान्य कोशिकाओं को भारी होने और हड्डी में ट्यूमर बनाने में मदद करती हैं ब्लड कैंसर बच्चों और वयस्क दोनों मे हो सकता है।
बच्चों मे यह सबसे ज़्यादा होने वाला कैंसर है ब्लड कैंसर के रिस्क फैक्टर: अयोनाइज़िन्ग रेडिएशन, केमोथेरेपी, जेनेटिक डिसॉर्डर, स्मोकिंग आदि हैं मेडिकल साइंस की तरक्की के बाद सी टी स्कैन एक बेहद आम जाँच हो चुकी है जो आज कि तारीख पे मरीज़ स्वयं बिना डॉक्टर की सलाह के भी करा लेते हैं इसलिए बहुत ही ज़रूरी होने पर सीटी स्कैन कराया जाना चाहिए अन्यथा इससे बचना चाहिए।
डॉ शशांक जोशी की कलम से
