
देहरादून आदिल पाशा। नेत्र दान पखवाड़ा: यह प्रतिवर्ष 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक मनाया जाता है.इस देशव्यापी मुहिम का मुख्य उद्देश्य आम जन मानस को नेत्रदान के बारे मे जागरूक एवं प्रेरित करना है। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ नीरज सारस्वत लगातार लोगो को नेत्रदान करने के लिए जागरूक कर रहे है पाशा के प्रश्न से बात करते हुए डॉ नीरज ने बताया कि यह बेहद चिंताजनक है कि दुनिया की लगभग आधी नेत्रहीन आबादी भारत में रहती है दरअसल,भारत में नेत्रहीन लोगों की संख्या लगभग 1.5 करोड़ है इनमें से 68 लाख लोग कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित हैं साथ ही लगभग 10 लाख लोग दोनों आँखों से अंधे हैं जिन्हें गंभीर दृष्टि दोष है और ये लोग कॉर्निया प्रत्यारोपण से लाभान्वित हो सकते हैं, जिसमें शल्य चिकित्सा द्वारा कॉर्निया का प्रतिस्थापन शामिल है।
नेत्रदान महादान, दूसरों की अंधेरी दुनिया को संवारा जा सकता है।
नेत्रदान करके ऐसे पीड़ित नेत्रहीनों की दुनिया मे फिर से उजाला लाया जा सकता है परंपरागत रूप से, नेत्रदान करने वाला प्रत्येक व्यक्ति दो नेत्रहीनों को दृष्टि प्रदान कर सकता है यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि देश भर मे जरुरतमंदो की मांग की तुलना मे नेत्रदान काफी कम मात्रा मे किया जाता है।
नेत्रदान कम होने के पीछे कई मुख्य कारण है
लोगो मे जागरूकता की कमी, संकोच, समाज मे फैली अनेक भ्रांतियां, नेत्रदान करने के सही तरीके की अज्ञानता, परिवार के लोगो को व्यक्ति के मरणोपरांत शपथ से अनभिज्ञता आदि।
नेत्रदान से सम्बंधित कुछ प्रचलित भ्रान्तियाँ एवं वास्तविक तथ्य
1भ्रान्ति : नेतृदान के बाद मृत शरीर के चेहरे की संरचना विक्रत हो जाती है तथ्य : दान कर्ता के नेत्रों को सम्मानपूर्वक एवं संरचना को बिना विक्रत किये निकाला जाता है.2 भ्रांति: नेत्र दान सिर्फ स्वस्थ जवान व्यक्ति ही कर सकते है. तथ्य:सभी उम्र और लिंग के लोग अपना कॉर्निया दान कर सकते हैं।मधुमेह रोगी, उच्च रक्तचाप रोगी, अस्थमा रोगी तथा संक्रामक रोगों से रहित रोगी भी नेत्रदान कर सकते हैं।3. भ्रान्ति: नेत्र दान धर्म विरुद्ध है. तथ्य:दुनिया का कोई भी धर्म दान की कला की निंदा नहीं करता।सभी प्रमुख धर्म या तो अंगदान को स्वीकार करते हैं या व्यक्तिगत सदस्यों को अपना निर्णय लेने का अधिकार देते हैं। अधिकांश मान्यताएँ अंगदान को दान के कार्य और जीवन बचाने के साधन के रूप में स्वीकार करती हैं।4. भ्रान्ति: मेरी दान की गई आंखें बेची जा सकती हैं. तथ्य:मानव नेत्र या किसी अन्य अंग को बेचना या खरीदना अवैध है और मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (THOA, 1994) के तहत एक दंडनीय अपराध है। 5. भ्रान्ति:यदि मैंने अपनी आंखें दान करने का संकल्प नहीं लिया है तो मेरी आंखें दान नहीं की जा सकतीं।तथ्य:यदि आपके निकट संबंधी आपकी मृत्यु की स्थिति में नेत्र बैंक को सूचित करते हैं, तथा आपकी आंखें दान करने की इच्छा व्यक्त करते हैं तो नेत्रदान किया जा सकता है।
नेत्रदान करने के प्रमुख बिंदु
दान कैसे करें??
अपनी आँखें दान करने के लिए, आपको एक फॉर्म भरना होगा जो सभी प्रमुख अस्पतालों और नेत्र बैंकों में उपलब्ध है आप इस फॉर्म को ऑनलाइन भी प्राप्त कर सकते हैं, इसके लिए लिंक नीचे दिया गया है। दरअसल, यह लिंक आपको भारतीय नेत्र बैंक संघ की वेबसाइट पर पंजीकरण के लिए आवश्यक सभी जानकारी प्रदान करेगा।पंजीकरण कैसे करें: http://ebai.org/donator-registration/
प्रतिज्ञा के बाद क्या करना है??
यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने निर्णय के बारे में अपने परिवार को बताएं, क्योंकि आपकी मृत्यु की स्थिति में, उन्हें ही नेत्र बैंक को आपकी प्रतिज्ञा के बारे में सूचित करना होगा, ताकि नेत्र बैंक जल्द से जल्द आपकी आंखें ले सके।
कहाँ संपर्क करें
भारत में नेत्र बैंक से संपर्क करने के लिए सार्वभौमिक फोन नंबर 1919 है यह भारत के सभी राज्यों में उपलब्ध एक टोल-फ्री नंबर है और नेत्रदान के साथ-साथ नेत्र बैंकों के बारे में जानकारी के लिए 24×7 उपलब्ध है।
दिवंगत आत्मा की मृत्यु के बाद नेतृदान से पहले शरीर की देखभाल कैसे करनी है??
मृतक के निकटतम संबंधी से सहमति प्राप्त करने के तुरंत बाद नेत्र बैंक को फ़ोन करने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए क्योंकि मृत्यु के बाद सिर्फ़ छह से आठ घंटे तक ही आँखें निकाली जा सकती हैं। मृतक की आंखें धीरे से बंद करें और उन पर गीली रुई का टुकड़ा रखें सुनिश्चित करें कि जहाँ शव रखा गया है, वहाँ सभी पंखे बंद हों साथ ही सिर को तकिये की सहायता से सावधानीपूर्वक लगभग छह इंच ऊपर उठाएं।
