देहरादून। हाल ही में एक निजी सर्वे कम्पनी/डेटा साइंस कम्पनी “पी वैल्यू एनालिटिक्स NARI-2025 ने एक सर्वे किया है जिसमें देहरादून को देश के 10 असुरक्षित शहरों में सम्मिलित किया गया है इसको लेकर राज्य महिला आयोग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि उक्त सर्वेक्षण न तो राष्ट्रीय महिला आयोग अथवा राज्य महिला आयोग द्वारा कराया गया है, और न ही किसी अन्य सरकारी सर्वेक्षण संस्थान द्वारा किया गया है। इसके बाद अब देहरादून पुलिस ने भी इस सर्वे का खंडन किया है और देहरादून को सुरक्षित शहरों में एक शहर बताया है। सर्वेक्षण रिपोर्ट के अध्ययन से स्पष्ट है कि उक्त सर्वेक्षण देश के 31 शहरों में किया गया है, जो *CATI (Computer Assited Telephonic Interviews)* एंव *CAPI (Computer Assited Personal Interviews)* पर आधारित है साथ ही सर्वेक्षण कम्पनी द्वारा महिलाओं से भौतिक रूप से सीधा संवाद नहीं किया गया, मात्र 12770 महिलाओं से टेलीफोनिक वार्ता के आधार पर उक्त रिर्पोट को तैयार किया गया है।

आबादी 9 लाख सर्वे में सिर्फ 400 महिलाएं, सर्वे कंपनी की विश्वसनीयता पर भी सवाल

वरिष्ट पुलिस अधीक्षक देहरादून अजय सिंह ने प्रेस कर बताया कि देहरादून में महिलाओं की लगभग 09 लाख की आबादी के सापेक्ष केवल 400 महिलाओं के सैम्पल साइज के आधार पर इलेक्ट्रॉनिकली कनेक्ट करके निष्कर्ष निकाला जाना प्रतीत होता है जबकि महिला सुरक्षा के लिये विकसित गौरा शक्ति एप में महिलाओं के 1.25 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं जिसमें से 16649 रजिस्ट्रेशन मात्र देहरादून जनपद के ही हैं इसके अतिरिक्त डायल 112, उत्तराखण्ड पुलिस एप, सी0एम0 हेल्पलाइन, उत्तराखण्ड पुलिस वेबसाइट के सिटीजन पोर्टल का महिलाओं द्वारा नियमित रूप से प्रयोग किया जा रहा है।

सर्वेक्षण के मानकों में पुलिस से सम्बन्धित 02 बिन्दु

01: पुलिस पैट्रोलिंग एवं 02: क्राइम रेट। बिन्दु संख्या 01 पुलिस पेट्रालिंग में सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा का स्कोर 11 प्रतिशत है, जबकि देहरादून का स्कोर 33 प्रतिशत है। स्पष्ट है कि देहरादून पुलिस पेट्रोलिंग के आधार पर सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक सुरक्षित शहर कोहिमा से भी ऊपर है। हर्रेसमेन्ट एट पब्लिक प्लेसेस शीर्षक में पूरे देश का स्कोर 07 प्रतिशत है, जबकि देहरादून का 6 प्रतिशत है। स्पष्ट है कि देहरादून में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाएं अन्य शहरों की तुलना में स्वंय को ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं हाई क्राइम रेट शीर्षक में देहरादून का स्कोर 18 प्रतिशत बताया गया है, जो तथ्यों पर आधारित नहीं है। माह अगस्त में जनपद देहरादून में डायल 112 के माध्यम से कुल 12354 शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें से मात्र 2287 (18 प्रतिशत) शिकायतें महिलाओं से सम्बन्धित हैं। उक्त 2287 शिकायतों में से भी 1664 शिकायतें घरेलू झगडों से सम्बन्धित हैं। शेष 623 शिकायतों में से भी मात्र 11 शिकायतें लैंगिक हमलों/छेडखानी से सम्बन्धित हैं। स्पष्ट है कि महिला सम्बन्धी कुल शिकायतों में से छेडछाड की शिकायतों का औसत 01 प्रतिशत से भी कम है। उक्त शिकायतों में पुलिस का औसत रिस्पांस टाइम 13.33 मिनट है। अर्थात महिला सम्बन्धी अपराधों के प्रति पुलिस की संवेदनशीलता प्राथमिकता पर है।

70 हज़ार छात्र छात्राएं बाहरी प्रदेशों k

वर्तमान में देहरादून में बाहरी प्रदेशों के लगभग 70 हजार छात्र/छात्राएं अध्ययनरत हैं, जिनमें से 43% संख्या छात्राओं की है उक्त छात्र/छात्राओं में काफी संख्या में विदेशी छात्र/छात्राएं भी अध्ययनरत हैं उक्त छात्र/छात्राओं द्वारा सुरक्षित परिवेश में जनपद देहरादून में निवास करते हुए शिक्षा ग्रहण की जा रही है। थानों को निर्देशित किय गया है।

ज़्यादातर घटनाओं का 100 प्रतिशत निवारण

वर्ष 2025 में बलात्कार, शील भंग, स्नेचिंग जैसी सभी घटनाओ का शत प्रतिशत अनावरण किया गया है देहरादून शहर में स्मार्ट सिटी के एकीकृत कंट्रोल रूम के 536, पुलिस कंट्रोल रूम के 216 सीसीटीवी कैमरों के साथ लगभग 14000 सीसीटीवी कैमरे कार्यशील हैं, जिनकी सहायता से पुलिस द्वारा निरंतर अपराध एवं अपराधियों पर सतर्क दृष्टि रखी जा रही है। सभी कैमरों की गूगल मैपिंग की जा चुकी है।

हर लिहाज़ से सुरक्षित देहरादून

देहरादून शहर हमेशा से सुरक्षित शहरों में गिना जाता है, यही कारण है कि देहरादून में प्रतिष्ठित केन्द्रीय संस्थानों के साथ-साथ ख्याति प्राप्त शैक्षणिक सस्थान भी स्थित हैं जिनमें देश विदेश के छात्र/छात्राओं अध्ययनरत हैं। इसके अतिरिक्त देहरादून में अनेकों पर्यटक स्थल भी स्थित हैं, जिसमें वर्ष भर भारी संख्या में पर्यटकों का आवागमन बना रहता है छात्र/छात्राओं तथा पर्यटकों की निरंतर बढती संख्या स्वयं में इस बात का प्रमाण है कि देहरादून शहर आम जनमानस एवं बाहरी प्रदेशों से आने वाले लोगों/पर्यटकों/छात्र-छात्राओं के लिये कितना सुरक्षित है।हम सर्वेक्षण के निष्कर्षों का सम्मान करते हैं, किंतु नीतिगत निर्णयों हेतु यह आवश्यक है कि किसी भी सर्वे की पद्धति वैज्ञानिक एवं तथ्यात्मक हो, ताकि उसके निष्कर्ष सार्थक एवं विश्वसनीय बन सकें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *