देहरादून। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज में कई विभागों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है, जिससे कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है कई डॉक्टरों ने निजी क्षेत्र में बेहतर वेतन मिलने के कारण नौकरी छोड़ी है इसका खुलासा एक आर टी आई से हुआ है जिसमें पिछले चार सालों में जहां 194 प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर ने ज्वॉइन किया है वहीं इन 4 सालों में छोड़ने वालों की संख्या 59 है। सर्जरी विभाग में सिर्फ एक ही सिर्फ एक ही सर्जन है वहीं कार्डियो में भी एक ही डॉक्टर है ऐसे में अगर डॉक्टर अवकाश पर जाते है तो ओपीडी में भी दिक्कत आती है। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ गीता जैन ने कहा कि हमने सरकार को सैलरी स्ट्रक्चर यूपी की तर्ज पर संशोधित करने का प्रस्ताव भेजा है, ताकि योग्य डॉक्टर सरकारी सेवा में टिके रहें वही एनपीए पर भी सरकार को विचार करना चाहिए जिसमें जो डॉक्टर्स अपनी मर्ज़ी से एनपीए लेना चाहते है वो ले सकते है और जो एनपीए नहीं लेना चाहते वो ना ले इसको लेकर भी शासन से मांग की गई है।

डॉ गीता जैन ने यह भी कहा कि अस्पताल में महिला वार्ड और न्यूरो विभाग जैसे प्रमुख ब्लॉक सुचारू रूप से चल रहे हैं डॉक्टरों के समय पर न आने और मरीजों को इलाज में दिक्कतों की शिकायतों पर प्रतिक्रिया देते हुए प्राचार्य डॉ. गीता जैन ने कहा कि अधिकांश डॉक्टर समय पर अपनी ड्यूटी पर पहुंचते हैं और मरीजों को पूरी जिम्मेदारी से देखते हैं कुछ अपवादस्वरूप हालातों में देरी या अनुपस्थिति दिख सकती है, लेकिन इसे पूरे संस्थान पर नहीं थोपा जाना चाहिए।

डॉ. जैन ने बताया कि कई बार डॉक्टर मरीज देखने के बाद जांच या विशेष वार्ड में चले जाते हैं, जिससे ऐसा लगता है कि वे ओपीडी में मौजूद नहीं हैं। उन्होंने कहा, “हमारे अस्पताल में रोजाना ढाई से तीन हजार मरीज आते हैं। ऐसे में हर डॉक्टर पर भारी कार्यभार होता है। इसके बावजूद हमारी टीम हर मरीज को देखने की कोशिश करती है। डॉ. जैन ने अंत में कहा कि अस्पताल प्रशासन लगातार सेवाओं में सुधार के प्रयास कर रहा है और किसी भी प्रकार की शिकायत पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी। “हमारा प्रयास है कि मरीजों को समय पर इलाज मिले और अस्पताल का हर विभाग अपनी पूरी क्षमता के साथ काम करे।

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