देहरादून। 11 साल दस सत्र 35 दिन ये वो आंकड़ा है जो पिछले 11 सालों में प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में सत्र आयोजित हुआ इतने सालों में मात्र 35 दिन ही गैरसैंण में सत्र का आयोजन हुआ। राज्य को बने 25 साल हो गए है लेकिन राज्य वासियों का दुर्भाग्य रहा कि राज्य के पास दो दो राजधानीया तो है लेकिन स्थाई राजधानी राज्य को आज तक नहीं मिली है लेकिन लॉलीपॉप के रूप में पहाड़ के लोगो को ग्रीष्मकालीन राजधानी ज़रूर दे दी है और इससे सिर्फ राज्य के लोगो पर बोझ बढ़ा है क्योंकि राज्य के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा यहां सत्र के व्यय हो जाता है।
खूब हुआ खर्चा, नहीं हुआ कोई चर्चा
आपको बता दे कि इस बार भी भले ही गैरसैंण में विधानसभा का मानसून सत्र दो दिन के लिए कुछ ही घंटों चला हो लेकिन इसमें भी राज्य सरकार का खूब खर्च हुआ है लेकिन इस खर्च करने का कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि खर्चा तो बहुत हुआ लेकिन कोई चर्चा नहीं हुआ। इस बार सत्र में सदस्यों के प्रश्नों के लिए प्रश्नकाल ही नहीं हुआ और नियम 58 के तहत भी चर्चा नहीं कराई गई साथ ही नियम 300 और नियम 53 के तहत भी कार्यवाही नहीं की गई।
राज्य के लोगो की भावनाओं के साथ खिलवाड़, सत्र के नाम पर पिकनिक मनाने चढ़ते है पहाड़, राज्य के राजस्व की बर्बादी
उत्तराखंड पहले ही कर्ज के बोझ से दबा हुआ है ऐसे में दो दो राजधानी और फ़िर गैरसैंण में सत्र के नाम पर व्यय होता है वो ज़रूर सरकार से सवाल करने पर लोगो को विवश कर देता है गैरसैंण में जब कभी भी सत्र आहूत किया जाता है तब दूसरी अस्थाई राजधानी देहरादून से हज़ारों फाइलों को गैरसैंण भेजा जाता है जिसमें राज्य सरकार का करोड़ों का राजस्व बर्बाद होता है उसके साथ साथ वहां पर अधिकारियों और पत्रकारों को लाने ले जाने के लिए भी राज्य सरकार के राजस्व से एक बड़ी रकम खर्च होती है और इसका कोई औचित्य नहीं है कि सिर्फ विधानसभा का सत्र मात्र हो जाने से वहां के लोगों को कोई फायदा होता है।
ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने से स्थानीय लोगो को नहीं मिले रोज़गार के नए साधन
जैसे ही 4 मार्च 2020 को त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में गैरसैंण में विधानसभा सत्र के दौरान गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा हुई तो वहां के लोगों को लगा कि अब गैरसैंण भी राजधानी बन गई है अब विकास का पहिया गैरसैंण भी चढ़ जाएगा लेकिन राजधानी के नाम पर वहां के लोगो को सिर्फ लॉलीपॉप मिला और विकास के नाम पर सिर्फ विधानसभा की इमारत बनी बाकी रोज़गार के लिए कोई नए साधन वहां नहीं आए ।पलायन आज भी पहाड़ के लोगो के लिए बड़ी समस्या है लेकिन विकास ना होना इसका एक बड़ा कारण है जिसके चलते पहाड़ के लोग नौकरी की तलाश में पहाड़ छोड़ने को विवश हुए आज पहाड़ों में गांव के गांव खाली हो गए है।
सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के विधायकों को गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने से गुरेज
आपको बता दे कि राज्य में दोनों बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों की सरकार रही है लेकिन कोई भी सरकार ने गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने का समर्थन नहीं किया वैसे दोनों पार्टी के विधायकों को भी गैरसैंण के स्थाई राजधानी बनाने से दिक्कत है क्योंकि उनको ऐश ओ आराम तो दून वैली में ही मिलते है नहीं तो सदन में गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने के लिए ओपन वोटिंग करा ली जाए तब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
एक नज़र इधर भी
गैरसैंण में कब कब आयोजित हुआ
सत्र9 जून 2014 से 3 दिन 2 नवंबर 2015 से 2 दिन17 नवंबर 2016 से 2 दिन7 दिसंबर 2017 से 2 दिन 20 मार्च 2018 से 6 दिन3 मार्च 2020 से 5 दिन 1 मार्च 2021 से 6 दिन13 मार्च 2023 से 4 दिन21 अगस्त 2024 से 3 दिन 19 अगस्त 2025 से 2 दिन