
देहरादून। दून अस्पताल से मांगी गई एक आरटीआई ने सबको चौंका दिया है साथ ही सोचने पर भी मजबूर कर दिया है। ख़बर लिखें जाने से पहले हम सभी लोगों से ये गुजारिश करते है कि अपने लोगों के स्वभाव में कोई बदलाव जिसमें अकेलापन, चिड़चिड़ापन,सबके साथ बात करने से बचना हो या और कोई भी कारण हो सकते है अगर ऐसी गतिविधि किसी के द्वारा कि जाती है तो उसके साथ बात ज़रूर करे और जानने की कोशिश करे कि आखिर उसके अंदर चल क्या रहा है।
दून अस्पताल से जब इस बाबत जानकारी आई तो ज़रूर हैरत में डालने वाली थी और इसके पीछे कई वजह है लेकिन वजह चाहे जो भी हो ये कोई विकल्प नहीं होता है। परिवार के लोगो को अपने बच्चों और दूसरे लोगो के स्वभाव को समय समय पर देखते रहना चाहिए और जरूरत पड़ने पर अपने लोगों से बात करनी चाहिए तब जाकर इस तरह की मानसिकता को आसानी से बदला जा सकता है।
एक साथी ज़रूर चुने
इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में आदमी इतना व्यस्त हो जाता है कि उसके पास उसके लिए समय ही नहीं रहता है कई बार कई तरह की चिंताएं उसको खाई जाती है लेकिन उसकी बात सुनने और समझने वाला कोई नहीं होता है ऐसे में सभी लोगों को चाहिए कि वो अपनी जिन्दगी में घर में परिवार में किसी को या बाहर दोस्त के रूप में एक को ऐसा चुने जिससे वो अपने दिल की बात शेयर कर सके इससे कम से कम उनके दिल का भार कम होगा और वो इस प्रकार का दुस्साहस नहीं कर पाएंगे।
अब जो आंकड़े हम बताने जा रहे हैं आखिर इसके पीछे बड़ी वजह क्या है क्योंकि 1 जनवरी 2023 से 31 जुलाई 2025 तक अकेले दून अस्पताल में आत्महत्या की कोशिश करने वाले 730 मामले सामने आए है इन आंकड़ों को देखकर लोग सहम से गए है कि आख़िर इतने कम समय में अकेले एक अस्पताल में इतने मामले आत्महत्या का प्रयास करने के आए है। आपको बता दे कि पिछले तकरीबन ढाई सालों में दून अस्पताल में 20 से 30 साल के 297 लोग ऐसे आए है जिन्होंने खुदकुशी की कोशिश की है वहीं 10 से 18 साल के बीच के आंकड़ों ने भी सबको चौंका दिया है इतने ही समय में लगभग 210 इस उम्र के लोगों ने आत्महत्या का प्रयास किया है। 30 से 40 साल की उम्र के 157 लोगो ने आत्महत्या का प्रयास किया वही 40 साल की उम्र से ज़्यादा 63 लोग ऐसे हे जिन्होंने मौत को गले लगाने की कोशिश की। इसके साथ साथ 10 साल से कम उम्र के 3 लोगो ने भी इस दुस्साहस को अंजाम दिया। इसमें पुरुषों की संख्या 459 है जबकि महिलाएं 271 है। आपको बता दे कि इसमें से समय रहते डॉक्टरों को तत्परता से 714 लोगो को बचाया जा सका जबकि इनमें 16 को नहीं बचाया जा सका।
इन गतिविधियों वालो पर रखनी होगी ख़ास नज़र
मनोचिकित्सकों की माने तो इस प्रकार का कदम उठाने वाला व्यक्ति काफी समय से इस तरह की बाते करने लगता है जिसमें मौत की बाते ज़्यादा होती है इसके साथ साथ किसी चीज़ में दिलचस्पी ना लेना, दोस्तो से अलग हट जाना, ऑफिस में भी ज़्यादा रुचि ना होना इसके साथ साथ परिवार के फंक्शनों से भी दूर रहना, कोई नई चीज़ ना लेना, सभी से बात कम कर देना ऐसे कई लक्षण हो सकते है तो समय रहते ऐसे लोगो का ख्याल रखे और उनसे खुलकर बात करने को प्रेरित करे।