उत्तराखंड में पंचायत चुनावों के लिए शनिवार को नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो गई है और ग्राम पंचायत सदस्यों के लिए राज्य में सिर्फ 28246 लोगो ने नामांकन कराया है जबकि इन ग्राम पंचायतों में सदस्य ने 55587 पद है ऐसे में उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने प्रेस कर राज्य सरकार पर हमला बोला है।
मीडिया से बात करते हुए उत्तराखंड कांग्रेस के अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि ग्राम पंचायत सदस्य के 55,587 पदों के सापेक्ष बहुत कम नामांकन प्राप्त हुए हैं जिससे ये साबित होता है कि सरकार की कार्यप्रणाली और पंचायत चुनावों को लेकर आमजन में भारी उदासीनता है ग्राम पंचायत सदस्यों के लिए जितने नामांकन किए गए उससे स्पष्ट है कि जनता में पंचायत चुनावों को लेकर कोई उत्साह नहीं है।
*पैदा हो सकता है संवैधानिक संकट
माहरा ने कहा कि इतने कम सदस्यों के नामांकन कराने से ग्राम पंचायत सदस्य के अनेक पद रिक्त रह सकते है और इससे संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है और ग्राम सभाओं के गठन में बाधा आ सकती है यह अत्यंत गंभीर विषय है, और सरकार को समय रहते इस पर सजग हो जाना चाहिए था। यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि भाजपा की धामी सरकार के प्रति ग्राम सभाओं में जनता का विश्वास डगमगाया है।
माहरा ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने साज़िश के तहत छह महीने तक पंचायतों में प्रशासक नियुक्त किए, ताकि निकाय चुनाव और पंचायत चुनावों के बीच इतना अंतर उत्पन्न हो सके जिससे भाजपा निकाय मतदाताओं के माध्यम से त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को प्रभावित कर सके और छह माह की निर्धारित अवधि पूर्ण की जा सके।उन्होंने यह भी बताया कि सितंबर 2019 के एक सरकारी आदेश को दिसंबर 2019 में संशोधित किया गया था, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि यदि कोई व्यक्ति निकाय की मतदाता सूची में नाम होने के बावजूद अपना नाम ग्राम सभा में दर्ज कराता है और बिना नाम कटवाए चुनाव लड़ता है, तो उसे अयोग्य घोषित किया जाएगा। ऐसे स्पष्ट दिशा-निर्देश आज तक राज्य सरकार या राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा जारी नहीं किए गए हैं, जो अत्यंत चिंताजनक है।