देहरादून। किसानों को बदलते मौसमीय परिदृश्यों के अनुकूल खेती करने, उत्पादकता बढ़ाने, जलवायु जोखिमों से बचाव करने तथा पर्यावरण संरक्षण के साथ आय में वृद्धि के उद्देश्य से आईफ़ैड वित्तपोषित ग्रामोत्थान परियोजना (REAP) द्वारा दो दिवसीय जलवायु अनुकूल कृषि (Climate Smart Agriculture) प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन “सफलता क्लस्टर लेवल फेडरैशन” विकासखण्ड डोईवाला तथा “उड़ान क्लस्टर लेवल फेडरैशन” विकासखण्ड सहसपुर के तहत दुधली एवं जमुनवाला ग्रामों में स्वयं सहायता समूह के सदस्यों एवं कृषकों की प्रतिभागिता के साथ सम्पन्न हुआ।

मुख्य विकास अधिकारी देहरादून अभिनव शाह के मार्गदर्शन में यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पंतनगर विश्वविद्यालय से प्रशिक्षित ग्रामोत्थान परियोजना के मास्टर ट्रैनरों द्वारा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के मद्देनजर जलवायु अनुकूल कृषि से संबंधित जानकारी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) गठित एवं ग्रामोत्थान परियोजना (REAP) सहायतित क्लस्टर लेवल फेडरैशनों (CLFs) के स्तर पर स्वयं सहायता समूह (SHGs) के सदस्यों एवं प्रगतिशील कृषकों को प्रदान की जा रही है।

जलवायु अनुकूल कृषि प्रशिक्षण के उदेश्य उत्पादकता और आय को सतत रूप से बढ़ाना है इसके साथ अनुकूलन और लचीलापन निर्मित करना साथ ही ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम या समाप्त करना अब तक ग्रामोत्थान परियोजना द्वारा इस प्रकार की पहल के अंतर्गत सामुदायिक संगठनों से समन्वय कर 200 समूह सदस्यों एवं कृषकों को इस प्रकार का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।आगामी दिनों में 700 से अधिक और सदस्यों एवं कृषकों को प्रशिक्षण दिया जाना लक्षित है विगत वर्ष भी परियोजना द्वारा 400 से अधिक सदस्यों एवं कृषकों को प्रशिक्षण प्रदान किया था।

मुख्य विकास अधिकारी देहरादून अभिनव शाह ने बताया कि “जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को देखते हुए अब कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक एवं नवाचार आधारित पद्धतियों को अपनाना आवश्यक है ग्रामोत्थान परियोजना के माध्यम से किसानों को उत्पादकता एवं आय वृद्धि हेतु न केवल तकनीकी जानकारी प्रदान की जा रही है, बल्कि उन्हें स्थानीय स्तर पर जलवायु लचीलापन (Climate Resilience) विकसित करने की दिशा में भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने और उनकी आजीविका को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जलवायु परिवर्तन के इस दौर में टिकाऊ और जलवायु स्मार्ट कृषि तकनीकों एवं पद्धतियों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है।”

देहरादून प्रशिक्षण के परिणामों के रूप प्रशिक्षित समूह सदस्यों एवं प्रगतिशील कृषकों द्वारा कृषि विविधीकरण प्रयासों के तहत परियोजना के सहयोग से मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, बैकयार्ड पोल्ट्री और डेयरी जैसे उद्यमों को अपनाकर अपनी आजीविका को बहुआयामी बना चुके हैं, जबकि वैश्विक ग्लोबल वार्मिंग के चुनौतियों से निपटने हेतु गर्मी सहन करने वाली फसल किस्मों को अपना रहे हैं। जलवायु लचीली फसलों को प्रोत्साहित करने हेतु मिलेट्स (मँड़ुआ) के उत्पादन के साथ ही साथ इस प्रकार की फसलों के स्थानीय स्तर पर बीज उत्पादन हेतु पहल की जा रही है।

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