कांग्रेस के वरिष्ट नेता व उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है जिसमें उन्होंने राज्य में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा।यशपाल आर्य ने अपनी पोस्ट में लिखा कि।सरकार का त्रिस्तरीय चुनावों को सात महीने तक टालने के बाद अब मानसून में करने का निर्णय प्रदेश की जनता की जान जोखिम में डालने जैसा है ,इस वक्त उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण नदियां, और नाले उफान पर है और प्रदेश के विभिन्न छेत्रों में भूस्खलन और बादल फटने की खबरे आ रही है जिससे सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है और ऐसे में सरकार पंचायत चुनाव करा रही है जिससे ये साफ़ होता है कि राज्य की भाजपा सरकार जनता के प्रति कितनी गंभीर है।उन्होंने कहा कि कई संपर्क मार्ग मलबा और पत्थर गिरने से बाधित हो गए हैं, जबकि पुल तक नदी-नाले में समा गए हैं. जिसके लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं और कई गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया है. इन हालातो में पंचायत चुनावों के मामले में सरकार का निर्णय अपरिपक्व साबित हो रहा है। जिस समय राज्य में चुनाव हो रहे है उस समय उत्तराखण्ड में मानसून चरम पर होता है ऐसे में स्थिति की भयावहता की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पंचायतों का कार्यकाल पिछले साल सितम्बर माह के अंत में हो गया था। उत्तराखण्ड में सितम्बर से लेकर जून के सात महीने चुनाव करवाने के लिए सबसे अनुकूल होते हैं , आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी की इन सुरक्षित महीनों में चुनाव न करवा कर त्रिस्तरीय चुनावों के लिए हर तरह से असुरक्षित बरसात के महीने को चुना।
नेता प्रतिपक्ष उत्तराखंड विधानसभा यशपाल आर्य ने ये भी कहा कि जब सितम्बर,2024 में पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो गया था तो राज्य सरकार उस समय चुनाव कराने से क्यों बच रही थी इतने महीनों के बाद जब राज्य में मानसून सीजन अपने चरम पर है तब राज्य सरकार चुनाव करा रही है उन्होंने कहा कि ऐसे समय में चुनाव कराना राज्य की जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ है और निर्वाचन में जिन कर्मचारियों की ड्यूटी लगेगी उनके लिए भी बरसात के समय में चुनाव किसी रिस्क से कम नहीं है भारी बारिश के चलते जगह जगह गांवों के संपर्क मुख्य मार्ग से कट रहे है ऐसे में कैसे चुनाव की उम्मीद की जा सकती है राज्य सरकार को जनहित को ध्यान में रखते हुए इसपर कोई फैसला लेना चाहिए।